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चलता चल मुसाफिर,वरना देर हो जायेगी

चलता चल मुसाफिर,वरना देर हो जायेगी

कोई लाखों मुश्किलें खड़ा करें आपके मंजिल की राह में जो जोश जगा है कुछ कर दिखाने का तुम अपने मुकद्दर का बादशाह बनकर दिखा देना चलता चल तू चलता चल वरना देर हो जायेगी मुसाफिर। राहों में तूफान आने पर भी अपना आत्मविश्वास न खोना तनिक भी डरना नही है यदि तेरा साया भी साथ न दें अगर। कहते है मन के हारे हार है तो फिर मन के जीते जीत भी है लेकर दृढ़ संकल्प हो निडर चलता चल तू चलता चल वरना देर हो जायेगी मुसाफिर। तू चलते जा अकेला ही निरंतर मंजिल मिल नही जाती जब तक सिर्फ अपने गंतव्य का चिंतन कर लें सफलता मिलेगी हर कदम पर। बहुत कड़वी होती है सुकून की हर डगर हौसले अपने तू बुलंद रख चलता चल तू चलता चल वरना देर हो जायेगी मुसाफिर।

नूतन लाल साहू

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